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भारतपे की विकास यात्रा : एक स्टार्टअप से यूनिकॉर्न तक

इतिहास

भारतपे की विकास यात्रा : के पीरज़ादा अबरार के अनुसार , “भारतपे की स्थापना 2018 में अशनीर ग्रोवर और शाश्वत नकरानी द्वारा की गई थी, जिसका उद्देश्य भारतीय व्यापारियों के लिए वित्तीय समावेशन को वास्तविकता बनाना था।2021 में, कंपनी ने “मल्टी-ब्रांड लॉयल्टी प्रोग्राम” पेबैक इंडिया का अधिग्रहण किया। [ 7 ] [ 8 ]

अप्रैल 2024 में, भारतपे ने नलिन नेगी को अपने सीईओ के रूप में पदोन्नत किया, जनवरी 2023 में अंतरिम सीईओ और सीएफओ के रूप में पदभार संभालने के 15 महीने बाद।

20 अगस्त 2024 को, भारतपे ने अपने व्यापारियों के लिए सुरक्षित ऋण के लिए अपनी क्रेडिट पेशकशों का विस्तार करने की घोषणा की। कंपनी अब दोपहिया ऋण के लिए ऋण देने वाले भागीदारों ओटीओ कैपिटल और एलएएमएफ के लिए वोल्ट मनी के माध्यम से सुरक्षित दोपहिया ऋण और म्यूचुअल फंड के खिलाफ ऋण (एलएएमएफ) सक्षम करेगी।

 

आज जो डिजिटल पेमेंट इतना आसान लगता है आज से एक दशक पहले लोग इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते थे. इंटरेनेट और मोबाइल बैंकिंग के साथ ऑनलाइन पेमेंट की शुरुआत तो हुई लेकिन ओटीपी का झंझट तो कभी सर्वर डाउन हमेशा कंज्यूमर्स के लिए चुनौती बने ही रहते थे. 

 

इसी बीच 2016 में भारत सरकार ने यूपीआई लॉन्च करके ऑनलाइन पेमेंट की दुनिया ही बदल दी. जिस पेमेंट को करने के लिए इतनी मशक्कत लगती थी वो मिनटों में होने लगे. हालांकि यूपीआई को लेकर जागरुकता काफी धीरे-धीरे फैली.

 

यूपीआई आने के बाद एक और इनोवेशन हुआ जिसने लाखों से लेकर एकाद रुपये के पेमेंट ट्रांजैक्शन को चुटिकयों का काम बना दिया. हम बात कर रहे हैं क्यूआर कोड बेस्ड पेमेंट की. डिजिटल पेमेंट के सफर को यहां तक पहुंचाने में यूपीआई बेस्ड QR कोड्स का बड़ा रोल रहा है. और इसका क्रेडिट जाता है भारतपे को. 

 

भारतपे के शुरुआत कोफाउंडर्स के तौर पर भाविक कोलाडिया और शास्वत नकरानी और अशनीर ग्रोवर का नाम आता है. हालांकि अशनीर ने 28 फरवरी, 2022 को कंपनी से इस्तीफा दे दिया. उसके कुछ ही महीनों बाद भाविक ने भी कंपनी छोड़ दी. आज यूनिकॉर्न ऑफ इंडिया की सीरीज में हम जानेंगे भारतपे के शुरुआती सफर से लेकर उसके यूनिकॉर्न बनने से लेकर उसके बिखरने की कहानी.

 

भारतपे की विकास यात्रा  : कहां से और कैसे आया आईडिया

 

IIT दिल्ली में पढ़ते हुए शाश्वत ने bookmyhair.com नाम का स्टार्टअप बनाया था जो चला नहीं. लेकिन उसकी असफलता से सीख कर उन्होंने भारतपे की शुरुआत की. 

 

आईडिया के बारे में बात करते हुए शास्वत एक इंटरव्यू में बताते हैं कि कॉलेज के दिनों में उन्होंने देखा कि यूपीआई होने के बाद भी मर्चेंट्स और शॉपकीपर डिजिटल पेमेंट लेने में काफी हिचक रहे हैं. दुकानदारों से महीनों तक पूछताछ करने के बाद समझ आया कि मर्चेंट्स पेमेंट प्रोसेसिंग के लिए एमडीआर या कमिशन नहीं देना चाहते थे. 

 

अगर कोई उनके पास ज्यादा कस्टमर लाने का वादा करे तो ही वो डिजिटल पेमेंट पर कमिशन देने को राजी थे.  शास्वत बताते हैं कि उस समय फोनपे, पेटीएम डिजिटल पेमेंट सर्विस दे रही थीं लेकिन सिर्फ कंज्यूमर्स को. कोई ऐसी कंपनी नहीं थी जो मर्चेंट्स को फाइनैंशियल पेमेंट सलूशन देने का काम कर रही हो. हमें मार्केट में प्रॉडक्ट गैप नजर आया और बस इस तरह शरुआत हुई भारतपे की. जिसे खासतौर पर सिर्फ मर्चेंट्स की परेशानियों को दूर करने और उन्हें सभी तरह के फाइनैंशियल प्रोडक्ट ऑफर करने के लिए बनाया गया था. शुरुआत अगस्त 2018 में शाश्वत और उनकी टीम ने क्यूआर कोड फर्स्ट प्रोडक्ट लॉन्च किया. यह इंडिया का पहला इंटरऑपरेबल क्यूआर यूपीआई कोड था.

 

 इस क्यूआर प्रोडक्ट को मर्चेंट्स ने हाथों हाथ लिया. क्योंकि यूजर के पास कोई भी पेमेंट ऐप हो मर्चेंट्स सिर्फ इस एक कोड के जरिए पेमेंट रिसीव कर सकते थे. उन्हें अलग-अलग ऐप के लिए अलग-अलग सिस्टम रखने की झंझट नहीं थी. इससे भी बड़ी बात उन्हें पेमेंट्स पर किसी भी तरह का कमिशन नहीं देना था.

 

भारतपे फंडिंग

 

भारतपे ने कई तरह से फ़ंडिंग हासिल की है, जिनमें साझेदारी, निवेश मंच, और आईपीओ शामिल हैं. 

साझेदारी

  • भारतपे ने गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफ़सी) के साथ साझेदारी करके व्यापारियों को गोल्ड लोन दिया है. 
  • भारतपे ने एनबीएफ़सी के साथ साझेदारी में 12,400 करोड़ रुपये से ज़्यादा के ऋण वितरण की सुविधा दी है. 

निवेश मंच 

  • भारतपे ने निवेश मंच ‘इन्वेस्ट भारतपे’ लॉन्च किया है.

आईपीओ 

  • भारतपे आईपीओ लाने की तैयारी में है. कंपनी के सीईओ नलिन नेगी के मुताबिक, भारतपे वित्तवर्ष 2025 में एबिटा को प्रॉफ़िटेबल बनाने का लक्ष्य रख रहा है.

फ़ंडिंग राउंड 

  • भारतपे ने सीरीज़ ई इक्विटी राउंड में फ़ंडिंग हासिल की है.
  • टाइगर ग्लोबल के नेतृत्व में भारतपे ने 370 मिलियन डॉलर की फ़ंडिंग हासिल की है.

भारतपे एक फ़िनटेक कंपनी है. यह व्यापारियों को क्यूआर कोड और यूनिफ़ाइड पेमेंट्स इंटरफ़ेस (UPI) के ज़रिए भुगतान स्वीकार करने की सुविधा देता है. 

 

अशनीर ग्रोवर की एंट्री

 

बिना कमिशन मर्चेंट्स को ट्रांजैक्शन की सुविधा देने का आईडिया था तो जबरदस्त लेकिन एक बिजनेस के लिए सबसे जरूरी पहलू होता है कमाई. जो इस स्ट्रैटजी से नहीं होने वाली थी. भारतपे को कमाई की स्ट्रैटजी मिली अशनीर ग्रोवर से. अशनीर IIT दिल्ली के सीनियर थे जो पहले कई इनवेस्टमेंट फर्म्स में काम कर चुके थे. ग्रोफर्स को बनाकर बेच चुके थे.

 

उन्होंने अपने काम के दौरान ये नोटिस किया था कि रिटेल बिजनेस में मार्जिन कम होने की वजह से मर्चेंट डिजिटल पेमेंट जैसी सर्विसेज के लिए पैसे देने में हिचकते थे. लेकिन वही दुकानदार लोन के लिए मोटा इंटरेस्ट देने को राजी थे. मुश्किल ये थी कि इन्हें बैंकों से जल्दी लोन मिलता नहीं था.

 

 इस डिमांड को पूरा करते हुए भारतपे ने मर्चेंट्स और शॉपकीपर्स को लोन देने का फैसला शुरू किया. फंडिंग कंपनी के आईडिया को मर्चेंट्स के बीच इतना सराहा गया कि ग्रोथ जबरदस्त होने लगी. कंपनी हर तीसरे चौथे महीने नया फंडिंग राउंड जुटाने लगी. 

 

भारतपे ने अब तक 12 राउंड में 720 मिलियन डॉलर जुटाए हैं. भारतपे के निवेशकों में टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, ड्रैगोनियर इनवेस्टमेंट ग्रुप, रेबिट कैपिटल, आईआईएफएल वेल्थ जैसे नाम शामिल रह चुके हैं. कंपनी कई एंजल इनवेस्टर्स को कई गुना फायदे के साथ एग्जिट भी दे चुकी है.

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                                                                                       इस ब्लॉग का संदर्भ – YS Bharat

 

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